## दो सादे पन्नों की बातचीत #Faces “हर रोज़ सादे पन्ने की तरह उससे मिलना और भर जाना देखते ही देखते एक दूसरे को” ![[Pub-2-blank-pages.webp|400]] ये आखिरी पंक्तियाँ थीं, जो साक्षात रोहित को भेंट की थीं फिर एक दिन मन में आया — “दिल के सादे पन्नों पर वो अब भी कुछ कुछ लिखता है जब चाहो तब दिखता है” 2022-09-22