## दो सादे पन्नों की बातचीत
#Faces
“हर रोज़ सादे पन्ने की तरह उससे मिलना
और भर जाना
देखते ही देखते
एक दूसरे को”
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ये आखिरी पंक्तियाँ थीं, जो साक्षात रोहित को भेंट की थीं
फिर एक दिन मन में आया —
“दिल के सादे पन्नों पर
वो अब भी कुछ कुछ लिखता है
जब चाहो तब दिखता है”
2022-09-22