## कार ने पूछा 50°C में रह लोगे ? #NotesOnNews ![[Pub-Car-50-Degrees.webp|400]] आज कार ने बताया कि जिस शहर में रहते हो वो 50 डिग्री सेल्सियस के पार वाली गर्मी के सामने.. कितना बेकार है। ==हम कहते हैं एसी काम नहीं कर रहा, लेकिन असलियत ये है कि हमारा शहर काम नहीं कर रहा !== इंसान ने ऐसे शहर बनाए हैं जो गर्मी का मुक़ाबला करने के बजाए गर्मी का साथ देना शुरू कर देते हैं। सवाल है कि क्या हमारे बच्चे क्रमश: इन्हीं शहरों की भागदौड़ में भुनते रहेंगे ? लोग जिस विकास की उम्मीद में शहर आकर बसे, उसी विकास का माथा गर्म हो गया है, हाथ पकड़कर शहर से बाहर कर देगा एक दिन। हमारे इलाक़े में जिस ज़मीन को 25 साल पहले ग्रीन बेल्ट बताया गया था, वहाँ इन दिनों बिल्डर कॉन्क्रीट की गगनचुंबी इमारतें खड़ी कर रहे हैं.. वो भी एकदम फ्लैट से फ्लैट चिपका के... ऊंचे दाम और जीवन भर का लोन सिर पर लेकर भी प्रीमियम तंदूरी एड्रेस मिल रहा है... बालकनी से व्यू अच्छा है, पर गर्मी और लू असहनीय है... > शहरों के विकास वाले मॉडल में ख़ाली जगह छोड़ने... हरियाली, जलाशय और कॉन्क्रीट का अनुपात ठीक करने और मैटीरियल साइंस का बेहतर इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।नयी तरह के इंसुलेटिड मैटीरियल का इस्तेमाल घरों के निर्माण में होना चाहिए भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर वाला विकास हर हाल में होगा, दुनिया के हर विकासशील देश में ये मॉडल तमाम सरकारों ने बेचा है, बस फर्क इस बात से पड़ता है कि ये निवेश कॉन्क्रीट वाले निर्जीव और खौलते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर में होगा या फिर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जाएगा।