## Chair पर बैठे Man का फरमान, 90 घंटे काम !
#NotesOnNews
==**Chair** पर बैठकर ज्ञान देने वाले एक **Man** ने 90 घंटे काम करने की वकालत की है...==
कहा है कि
> → 1 हफ्ते में 90 घंटे काम करो
> → रविवार को भी दफ्तर जाओ
> → घर में कबतक पत्नी को निहारोगे...ऑफिस आओ
==ये कोई बॉस ही कह सकता है, लीडर इस तरह बात नहीं करते, ये लीडरों की शैली नहीं है==
इससे पहले एक अति-महान उद्योगपति 70 घंटे काम करने को अतिआवश्यक बता चुके हैं। दुखद ये भी है कि काम के घंटों पर विमर्श होता है, काम की गुणवत्ता पर नहीं।
90 घंटे काम करने का क्या फायदा/नुकसान है और इसके क्या प्रभाव हैं.. थोड़ा सा इसे भी समझ लेना चाहिए। पूरी दुनिया में अलग अलग देशों में हुए रिसर्च से जो सूत्र निकले.. उन्हें शेयर कर रहा हूं, इससे जो बड़ी तस्वीर बनती है उस पर गौर कीजिएगा
> जो लोग इंसानों से रोबोट या मशीनों की तरह काम कराने का प्रवचन देते हैं उनके लिए सबसे ज़रूरी और समझने वाली बात ये है कि काम के घंटे बढ़ाने से productivity बढ़े ये ज़रूरी नहीं है।
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> स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग 50 घंटे/सप्ताह से अधिक काम करते हैं, उनकी उत्पादकता धीरे-धीरे गिरने लगती है। और 70 घंटे की सीमा पार करने के बाद अतिरिक्त काम का कोई भी वास्तविक आउटपुट नहीं होता। यानी तब काम करने वाला दफ़्तर में मौजूद तो होता है लेकिन उसके होने से सचमुच कोई काम नहीं हो रहा होता। ==इस तरह दफ़्तर में व्यक्ति की मौजूदगी ही उसका काम बन जाती है। आप गौर करेंगे तो जान जाएंगे कि आपके आसपास भी बहुत से लोग दफ़्तरों में लंबी ड्यूटी के तहत मौजूद तो रहते हैं लेकिन करते कुछ नहीं==
##### स्वास्थ्य की बात करें तो...
जो लोग हफ्ते में 55 घंटे से अधिक काम करते हैं, उनमें दिल का दौरा पड़ने की आशंका 17% बढ़ जाती है (WHO की रिपोर्ट)
90 घंटे काम करने वाले लोग अक्सर 4-5 घंटे की नींद ले पाते हैं और CDC की रिपोर्ट कहती है कि औसतन 7-8 घंटे की नींद लेने वाले लोगों की तुलना में, 5 घंटे या उससे कम सोने वालों में मृत्यु दर 12% तक अधिक होती है। इस तरह अधिक काम.. मौत का सामान बन जाता है। Lancet में छपी एक स्टडी के अनुसार, दुनिया में हर साल लगभग 7.45 लाख मौतें ज़्यादा घंटे काम करने से जुड़ी होती हैं।
WHO ने 2019 में बर्नआउट को एक मेडिकल कंडीशन माना था। और ज्यादा घंटे काम करने वाले लोग बर्नआउट के कारण डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी का शिकार हो जाते हैं। इससे तरह तरह की बीमारियां होती हैं और ==जो बॉस आपसे ज़्यादा काम करवा रहा है वो आपके बारे में ये कहने लगता है कि "इसका कोई विकल्प ढूंढो, ये तो हमेशा बीमार रहता है "==
##### रिश्तों की बात करें तो...
• 90 घंटे काम करने वाले लोग अपने परिवार, दोस्तों, और व्यक्तिगत जीवन के लिए समय नहीं निकाल पाते, जिससे रिश्तों पर असर पड़ता है। Harvard Business Review में छपे एक अध्ययन के अनुसार - 60 घंटे से अधिक काम करने वाले कर्मचारियों में से 73% ने अपने परिवार के साथ समय की कमी को अपने रिश्तों के लिए हानिकारक माना।
दक्षिण कोरिया में औसत तलाक दर 1990 के मुकाबले 2020 तक 14% बढ़ गई, जिसका बड़ा कारण काम के घंटे हैं।
जापान और साउथ कोरिया में लंबे समय तक काम करने वाले माता-पिता के बच्चे स्कूल में कम परफॉर्मेंस और मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं। घर-परिवार में ऐसे हालात का असर काम की क्वालिटी पर पड़ता है और नतीजा बुरे अप्रेज़ल के रूप में सामने आता है। इस तरह शोषण का कुचक्र चल पड़ता है।
• LinkedIn Workforce Confidence Index के अनुसार, भारतीय कर्मचारियों में से 66% ये कहते हैं कि वे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर रहे हैं।
• भारत में वर्किंग क्लास पैरेंट्स के 55% बच्चों को माता-पिता से इमोशनल सपोर्ट की कमी महसूस होती है।
• भारत के स्टार्टअप्स और IT सेक्टर में हफ्ते में 70-80 घंटे तक काम करना आम है। जबकि International Labour Organization के अनुसार 35-40 घंटे के काम को आदर्श माना गया है।
##### जापान का उदाहरण देखिए
• वहां हर साल 200 से अधिक ‘करोशी’ के मामले सामने आते हैं, जिसमें लोग काम के तनाव के कारण हार्ट अटैक या सुसाइड कर लेते हैं। ‘करोशी’ शब्द का अर्थ है अत्यधिक काम की वजह से मौत।
##### चीन का उदाहरण देखिए
• चीन के ‘996 कल्चर’ ने वहां कहर मचाया हुआ है। 996 का मतलब है सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन) इसकी वजह से कम से कम 30% कर्मचारी ये शिकायत करते हैं कि 72 घंटे काम करने के कारण उन्हें बहुत ज़्यादा मानसिक तनाव है। इसकी वजह से चीन में कार्डिएक अरेस्ट की घटनाएं 20% तक बढ़ी।
• 2020 में एक 29 वर्षीय कर्मचारी की मौत की खबर ने चीन में काम के घंटे के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया। जिसके बाद कई कंपनियों के कर्मचारी ऐसी नीतियों का खुलेआम विरोध करने लगे। वहां 996 कल्चर पर कानूनी पाबंदियां लगाने की मांग बढ़ रही है।
कुल मिलाकर काम के घंटों पर प्रवचन देने की होड़ सी लग गई है। सबसे बड़े पद पर बैठकर इस तरह ज्ञान की गंगा बहाने वाले लोगों की सैलरी, और उनके दिन में प्राणवायु की तरह फैले हुए खाली समय के बारे में जब आप जानेंगे तो आपका आश्चर्य भी बढ़ेगा और गुस्सा भी। ==उदाहरण के लिए 90 घंटे वाले मिस्टर 'परम' अपनी कंपनी के सामान्य कर्मचारियों की औसत तनख़्वाह से 500 गुना से भी ज़्यादा कमाते हैं==
**वैसे क्या आप हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहेंगे ?**
**अगर वीकली ऑफ न मिले तो कैसा लगेगा आपको? .... जो भी विचार हों बताइयेगा।**