## Made in USA iPhone: एक हवाई किला अमेरिका में iPhone सहित तमाम गैजेट्स बनाने का विचार डोनाल्ड ट्रंप की हवा-हवाई रणनीतियों का एक और नमूना है — सुनने में आसान लगता है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई से कोसों दूर है। जैसे ही इस विचार पर तथ्यों की सुई चुभती है, इसका आकार खुद ब खुद पिचकने लगता है। इस पर कुछ #NotesOnNews तैयार किए हैं। ![[Pub-Made-in-USA-iPhone-T.webp|400]] ###### हुआ क्या है ? >डोनाल्ड ट्रंप ने दोहा में कहा कि मुझे टिम कुक से थोड़ी समस्या है, वो भारत में निर्माण कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि वो भारत में निर्माण करें, हमें इसमें दिलचस्पी नहीं है, भारत अपना ख्याल खुद रख सकता है। आप अमेरिका में निर्माण कीजिए। ##### ये आइडिया हवाई किले जैसा क्यों है ? ###### अमेरिका में कुशल श्रमिकों की भारी कमी सबसे बड़ी दिक्कत है कुशल श्रमिकों की कमी - एशियाई देशों में बहुत बड़ी और कुशल वर्कफोर्स मौजूद है। जबकि अमेरिका में ऐसे श्रमिकों की कमी है। इसी वर्कफोर्स की बदौलत चीन 85% iPhone बनाता है, लेकिन अब ये आंकड़ा बदल रहा है। भारत की हिस्सेदारी बढ़ती हुई दिख रही है। >स्टीव जॉब्स ने 2010 में कहा था कि अगर Apple को इसी समय अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को शिफ्ट करना हो तो अमेरिका को 700,000 फैक्टरी वर्कर्स और 30,000 इंजीनियर्स ढूंढने होंगे, जो बहुत ही मुश्किल काम है। तब बराक ओबामा की सत्ता थी और ये बात स्टीव जॉब्स की आधिकारिक बायोग्राफी में भी लिखी है >टिम कुक ने 2017 में कहा था कि एशियाई देशों में टूलिंग इंजीनियर्स की संख्या अमेरिका की तुलना में कई गुना अधिक है, जहाँ वे कई फुटबॉल स्टेडियम भर सकते हैं, जबकि अमेरिका में एक कमरे में समा जाएंगे। ###### 1000 पुर्जे, 50 देश समझने वाली बात ये भी है कि Apple की सप्लाई लाइन में 1,000 से अधिक पुर्जे शामिल हैं, जो 50 से अधिक देशों से आते हैं, जिसमें दुर्लभ खनिज भी शामिल हैं जो अमेरिका में नहीं मिलते। इसलिए सिर्फ अमेरिका में ही अपने बूते फोन बना लेना लगभग असंभव है। अमेरिका में iPhone बनाने के लिए बहुत बड़े स्तर पर सक्षम वर्कफोर्स, उपकरण, सामग्री और सुविधाएँ मौजूद नहीं हैं। नई फैक्ट्रियाँ बनाना.. समय और लागत दोनों में भारी पड़ेगा। इसके अलावा अमेरिकी मज़दूर आमतौर पर प्रदूषण वाले फैक्टरी जॉब्स में कम मजदूरी पर काम करने को तैयार नहीं हैं। ###### ऑटोमेशन: विकल्प या और बड़ी चुनौती? ऑटोमेशन से श्रम की जरूरत कम हो सकती है, लेकिन इसमें अभी अधिक विशेषज्ञता और अनुसंधान की ज़रूरत है ऑटोमेशन करने में लागत बढ़ जाएगी, शुरूआत में ही कम से कम एक अरब डॉलर खर्च करने होंगे और लाभ या मार्जिन कम होने पर निवेशकों के नाराज होने का खतरा है। ###### Apple का भारत की ओर झुकाव और ट्रंप की ईर्ष्या Apple विकल्प के तौर पर भारत में उत्पादन बढ़ा रहा है, लेकिन यहाँ अभी बुनियादी ढाँचा डेवलप हो रहा है। 2024-25 में $22 बिलियन की कीमत के iPhone भारत में बनाए गए। Apple 2026 तक अमेरिका के लिए सभी iPhone भारत में बनाकर मंगाना चाहता है। ये सब देखकर ट्रंप के मन में ईर्ष्या बढ़ रही है और वो सोच रहे हैं कि भारत में ये डेवलपमेंट हो सकता है...तो अमेरिका में क्यों नहीं हो सकता ? लेकिन ज़मीनी हकीकत बहुत कड़वी है। रिसर्च में कुछ आंकड़े सामने आए जो ट्रंप के मेक इन अमेरिका वाले गुब्बारे की हवा निकालते हैं ###### iPhone की मैन्युफैक्चरिंग का एक्स-रे **औसत मैन्युफैक्चरिंग मजदूरी** - अमेरिका: ₹2,500-₹3,300 - भारत: ₹150-₹300 प्रति घंटा ==अमेरिका में मजदूरी भारत की तुलना में 10-20 गुना अधिक है== **iPhone असेंबली** - एक iPhone की असेंबली में औसतन 2-3 घंटे का श्रम लगता है। इस श्रम की लागत देखिए - अमेरिका: प्रति iPhone ₹5,000-₹10,000 - भारत: प्रति iPhone ₹300-₹900 ==अमेरिका में श्रम लागत भारत की तुलना में 10-20 गुना अधिक है, जिससे iPhone की उत्पादन लागत 40% तक बढ़ सकती है।== **विशेषज्ञों की लागत** - अमेरिका: टूलिंग इंजीनियर्स और विशेषज्ञों की मजदूरी ₹4,100-₹8,200 प्रति घंटा है - भारत: समकक्ष विशेषज्ञों की मजदूरी ₹500-₹1,500 प्रति घंटा है ==अमेरिका में कुशल श्रमिकों की कमी और महंगे दाम उत्पादन को और महंगा बनाते है, जबकि भारत में सस्ते कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं।== **आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक्स की लागत:** ==अमेरिका में लॉजिस्टिक्स लागत भारत की तुलना में 10-15 गुना अधिक है, जो कुल लागत में इजाफा करती है।== **वर्कफोर्स** - अमेरिका: मैन्युफैक्चरिंग में केवल 1.2 करोड़ लोग हैं - भारत: मैन्युफैक्चरिंग में ==10 करोड़ लोग== उपलब्ध हैं **कीमतों पर प्रभाव:** - अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग पर iPhone की कीमत $1,000 से बढ़कर $3,500 तक जा सकती है - भारत में उत्पादन से कीमतें $1,100-$1,200 तक सीमित रह सकती हैं ###### ट्रंप का पिछला प्रयास: टेक्सास की असफलता ट्रम्प के पहले कार्यकाल में टेक्सास में मैक प्रो बनाने का प्रयास हुआ था जो नाकाम रहा, क्योंकि स्थानीय सप्लायर्स ढूंढना मुश्किल था, पुर्जो का इम्पोर्ट करने से देरी हुई और खर्चे बढ़ गए, तब कुशल श्रमिकों की भारी कमी महसूस की गई थी। कुल मिलाकर iPhone और दूसरे एप्पल प्रोडक्ट्स को अमेरिका में बनवाना एक सियासी सपना तो हो सकता है, लेकिन वास्तविकता ये है कि हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग केवल नारों से नहीं चलती... उसके लिए ज़मीनी हालात की समझ, बड़ी संख्या में श्रमिक, विशेषज्ञता, सप्लाई चेन और लागत-प्रबंधन की ठोस समझ चाहिए। 2025-05-15