## चिड़िया की नींद… उड़ #SansarKaCCTV वो सुरक्षा के लिए बाहर की लाइट ऑन करता है रोशनी झप्प से अंधेरा ख़त्म कर देती है और चिड़िया की नींद असुरक्षित हो जाती है उड़ती हुई चिड़िया आजकल जगमगाते शहरों में नींद ढूँढ रही है सहमे हुए महानगरों ने कैमरों का जाल भी बिछाया है हम सबके हिस्से का वो अंधेरा मिटाया है जो विश्राम और अल्प विराम के लिए अक्सर ज़रूरी होता है कभी कभी लगता है कि सब सोख लेने वाले शालीन अंधेरे का कोई शाप है… कि अब हर वक्त जगमगाते घोंसले में आप हैं वैसे तो ज़्यादा रोशनी को विकास का प्रतीक माना जाता है, लेकिन मुझे गहरी होती रात में अतिरिक्त रोशनी फूहड़ लगती है, ये थोड़ी एक्स्ट्रा रोशनी हमारे अंदर की असुरक्षा को महानगर के चप्पे चप्पे में प्रसारित कर रही होती है। जो शहर कभी नहीं सोता, वो किसी का नहीं होता, उसमें अपनापन नहीं होता। बेतहाशा विकास की क़ीमत है, उजाले की अति, उजाले का शाप। रात अब रात नहीं रह गई, इसलिए नींद भी कच्ची है और सपने भी कभी पक नहीं पाते, कच्चे ही टूट जाते हैं। विज्ञान भी रोशनी को नींद के खिलाफ मानता आया है। ये बात लिखते हुए पहले चिड़िया की तरह सोचा, वो कैसे सो पाती होगी, कैसे इसकी आदत डाली होगी, फिर लगा कि इस मामले में इंसान और चिड़िया के बीच ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है --- संसार का CCTV 🌏 क्या है ? इसके पीछे का विचार क्या है ? उत्तर : [[Introducing Sansar ka CCTV]] <!--ये जगमगाते शहर... डरे डरे से ज़्यादा चमकती चीज़ सभ्य हो… अब ये ज़रूरी नहीं विकास की असभ्य रोशनी को दिन और रात का फर्क खत्म होने का शाप है शालीन अंधेरे का शाप है-->