## नीरज चोपड़ा, भाला और भरोसा
#Doorbeen
नीरज चोपड़ा की एक अनोखी आदत है.. वो तेज़ी से दौड़कर आते हैं.. पूरी जान लगाकर परफेक्ट एंगल पर भाला फेंकते हैं.. और फेंकते ही खुश हो जाते हैं, जश्न मनाना शुरू कर देते हैं... क्योंकि उन्हें पता होता है कि वो अपने प्रयास में 100% मौजूद थे... और उनका भाला कितनी दूरी तक पहुंचेगा
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नीरज के इस आत्मविश्वास के पीछे भाला फेंकने की उनकी तकनीक है। जिसकी मदद से उन्होंने अपना भाला गोल्ड मेडल हासिल करने वाली दूरी तक फेंका है।
भाला फेंकने में
1. खिलाड़ी की गति
2. हवा की गति
3. दिशा
4. एयरोडायनेमिक्स
5. भाला फेंकने का एंगल
6. भाला फेंकने की गति
इन सबका ध्यान रखना होता है. क्योंकि एक भी फैक्टर बिगड़ा तो भाला सोची हुई दूरी तक नहीं जा पाएगा।
तेज़ी से भाला फेंकने के लिए तीन स्टेप होते हैं...
1. पहले 6 से 10 कदम तेजी से दौड़कर... दो तीन कदम क्रॉसओवर स्टेप लेना होता है.. .क्रिकेट के फास्ट बॉलर की तरह। ये मूवमेंट क्रिकेट के फास्ट बॉलर की तरह होती है।
2. आखिरी के दो तीन कदम में ही भाले को इस तरह फेंका जाता है कि उसे 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार मिल जाती है। इसे Impulse स्टेप कहते हैं..
3. इसके साथ ही पूरी ताकत को भाले में ट्रांसफर करने की कोशिश होती है। शरीर की पूरी ऊर्जा नीचे से ऊपर कंधे तक जाती है, उसके बाद उसी ऊर्जा की लहर कुहनियों की तरफ से होते हुए भाले तक जाती है... इस समय भाले की नोक खिलाड़ी की आंखों की सीध में होती है
भाला फेंकने के लिए उसका कोण यानी एंगल भी बहुत जरूरी होता है। मेडल जीतने के लिए जरूरी है कि भाला फेंकते समय उसका सिरा 32 से 36 डिग्री के कोण पर हो
इसी एंगल को साधने में जीवन भर की तपस्या लगती है। लगातार प्रैक्टिस करनी होती है.. तब ये एंगल मिल पाता है। अब आप सोचिए नीरज चोपड़ा ने कितनी प्रैक्टिस की होगी, कितनी मेहनत की होगी