## वही सफेदी वही झाग है, DeepSeek में बड़ी आग है
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दुनिया में AI वाली लड़ाई दिलचस्प हो गई है। अब तक अमेरिका दुनिया से पूछ रहा था कि आज उसके पास ChatGpt है, Gemini है, GROK है, Claude है... क्या है तुम्हारे पास ?
तो इस पर चीन ने अमेरिका को बड़ा ही किफायती Made in China जवाब देते हुए कहा है...
मेरे पास DeepSeek है! जब वही अमेरिकी सफेदी और वही AI वाला झाग कम दाम पर मिले.. तो कोई वो क्यों ले.. ये ना ले !!
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#### DeepSeek-V3 क्या है ? इसका इतना हल्ला क्यों है
DeepSeek-V3 चीन में तैयार हुआ एक AI मॉडल है इसे बनाने के लिए सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है, जो सामान्य कंप्यूटिंग हार्डवेयर पर कम खर्च में चल सकते हैं। ये मॉडल डेटा और मशीन लर्निंग तकनीकों के आधार पर विकसित किया गया है, जिसमें बड़े पैमाने पर डेटा का उपयोग करके AI को प्रशिक्षित किया जाता है। इस मॉडल ने तमाम अमेरिकी कंपनियों के AI Models के मुकाबले खुद को स्मार्ट और किफायती साबित किया है
#### OpenAI और Google के AI चैटबॉट से ये किस तरह अलग है ?
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OpenAI या Google के AI चैटबॉट (जैसे chatGPT या gemini) को प्रशिक्षित करने और सामान्य तौर पर चलाने के लिए अक्सर विशेष हार्डवेयर की आवश्यकता होती है, जैसे GPU (Graphics Processing Unit) या TPU (Tensor Processing Unit) इसमें बड़ा खर्च होता है। जबकि DeepSeek-V3 जैसे मॉडल को किसी विशेष हार्डवेयर जैसे DeepSeek chips की आवश्यकता नहीं होती। इसे सामान्य हार्डवेयर पर भी चलाया जा सकता है।
हालांकि, ये बात याद रखनी होगी कि बड़े AI मॉडल को शुरुआत में प्रशिक्षित करने के लिए अब भी शक्तिशाली हार्डवेयर की आवश्यकता होती है, लेकिन एक बार प्रशिक्षित होने के बाद DeepSeek को कम शक्तिशाली हार्डवेयर पर भी चलाया जा सकता है।
#### लागत और खर्च के मामले में DeepSeek अमेरिकी AI Chatbots से कितना किफायती है ?
अमेरिकी मॉडल्स से एक अनुमानित तुलना कर लेते हैं
DeepSeek-V3 की प्रशिक्षण लागत लगभग **50-75%** कम है
और इसे चलाने की लागत लगभग **80-90%** कम है
यानी कुल मिलाकर DeepSeek-V3 की लागत OpenAI या Google के AI मॉडल की तुलना में 50% से 90% तक कम हो सकती है।
निर्माण लागत की बात करें तो रिसर्चरों का दावा है कि इसे बनाने में सिर्फ़ 60 लाख डॉलर की लागत आई है जो कि अमेरिका में एआई कंपनियों के करोड़ों डॉलर के ख़र्च से काफ़ी कम है.
Meta 2025 में AI पर 6500 करोड़ डॉलर खर्च करने वाला है
Microsoft 2025 में AI पर 8000 करोड़ डॉलर खर्च करने वाला है
इस लिहाज़ से DeepSeek तमाम चाइनीज़ प्रोडक्ट्स की तरह सस्ता और किफायती है।
#### DeepSeek की तूफानी एंट्री से अमेरिकी Tech / Chip कंपनियों के शेयर क्यों गिरे ?
इसकी सीधी सी वजह है लागत और निवेश का गणित। कल तक अमेरिकी कंपनियां भारी निवेश को AI रेस में आगे रहने की अनिवार्य शर्त बता रही थीं.. और इसी हिसाब से निवेश भी हो रहा था। लेकिन चीन के DeepSeek AI मॉडल ने पूरा खेल ही पलट दिया। विशेष प्रकार के चिप की ज़रूरत खत्म कर दी। कम संसाधन में AI मॉडल तैयार किया और उसका बेहतर प्रदर्शन दुनिया को दिखा दिया। इससे अमेरिकी AI कंपनियों का बड़े संसाधनों वाला महंगा फॉर्मूला फीका पड़ गया। ज़ाहिर है इसका असर इन कंपनियों में होने वाले निवेश पर पड़ेगा। और इसी आशंका ने Nvidia, Broadcom, AMD जैसी चिप कंपनियों और Microsoft, Google जैसी टेक कंपनियों के शेयर्स को बड़ा झटका दिया।
#### क्या DeepSeek चीन की सत्ता का वफादार AI है ?
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ये आरोप लगता रहा है कि अमेरिकी AI कंपनियां, अमेरिका के नैरेटिव और नज़रिए को आगे बढ़ाती हैं। और उनके AI Chatbots में तरह तरह के Bias यानी पूर्वाग्रह हैं। ऐसे में सवाल उठा कि क्या चीन की AI कंपनी भी ऐसी ही करेगी..
इसका टेस्ट हुआ, DeepSeek से सवाल किया गया
==1989 में तियानमेन स्क्वायर पर क्या हुआ था ?==
==DeepSeek ने जवाब दिया माफ कीजिए, ये मेरे मौजूदा दायरे से बाहर है, कुछ और सवाल पूछिए।==
इसके बाद पूछा गया
==शी जिनपिंग के बारे में कुछ बताइए ?==
==तो डीपसीक ने जवाब दिया - माफ कीजिए, ये मेरे दायरे से बाहर है।==
अगला सवाल ये था
==क्या चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की सत्ता, अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलती है ?==
==इसके जवाब में DeepSeek ने सरकारी प्रवक्ता की तरह कम्युनिस्ट पार्टी का पक्ष रखा।==
यानी चीन की आलोचना से जुड़े सवाल हों या उसके राष्ट्रपति से जुड़े सवाल हों.. तो Deepseek AI चैटबॉट की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है। **एक और दिक़्क़त है कि ये सारा डेटा चीन की ही डेटा तिजोरी में जमा कराता है यानी आप कोई भी संवेदनशील जानकारी इसमें नहीं डाल सकते और किसी तरह की कोडिंग या ऐप बनाने का काम अगर इसके ज़रिए होगा तो मानकर चलिएगा कि इसके पास सारे डिटेल होंगे, और उनका मनचाहा दोहन चीन करेगा।**
#### आगे क्या होगा ?
DeepSeek ने AI इनोवेशन के एक नए दौर की शुरुआत की है, जो तकनीकी क्षमता के साथ साथ लागत और किफायत पर भी फोकस कर रहा है। AI मॉडल्स को कम लागत में तैयार करके, अच्छा प्रदर्शन करना अपने आप में गेमचेंजर है। इससे AI तकनीक छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों के लिए भी सुलभ बनेगा। आगे AI इंडस्ट्री में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा, खासतौर पर अमेरिका और चीन के बीच सीधी टक्कर होगी।
DeepSeek अकेली AI लैब नहीं है वहां कम से कम 10 ऐसी लैब्स हैं जो OpenAI या Anthropic के स्तर की है, और कम से कम 50 ऐसी लैब्स हैं जिन्हें आप Tier-2 लैब्स कह सकते हैं
DeepSeek की तरह आप तक Qwen, MiniMax, Kimi, DuoBao की चर्चा भी पहुंच गई होगी या पहुंचने वाली होगी। [Interesting Insights from an AI Expert](https://x.com/bookwormengr/status/1884176350652801212)
जिस तरह 20वीं सदी में अमेरिका और रूस के बीच स्पेस रेस हुई थी, जिसमें अमेरिका ने चंद्रमा पर पहुंचकर जीत हासिल की, उसी तरह 21वीं सदी में AI की रेस शुरू हो गई है। इस बार मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका और चीन हैं। अमेरिका OpenAI, Google, और Microsoft जैसी कंपनियों के साथ मैदान में है, जबकि चीन DeepSeek, Baidu, और Tencent जैसी कंपनियों के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ये रेस न केवल तकनीकी श्रेष्ठता के लिए है, बल्कि आर्थिक, सामरिक और ग्लोबल सत्ता के लिए भी है। सवाल ये है कि इस बार कौन जीतेगा? इस सवाल का जवाब दुनिया के शक्ति समीकरण को बदल देगा।
#### ये काम भारत में क्यों नहीं हुआ ?
==एक भारतीय होने के नाते मैं उम्मीद करता हूं कि हमारा भी Large Language Model आए जो पूरी दुनिया में तहलका मचाए। बिलकुल वैसे ही जैसे ISRO ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में मचाया हुआ है==
भारत में इंजीनियर्स की कमी नहीं है लेकिन भारत, चीन की तरह एक संरक्षित मार्केट नहीं है, जहां हमारी कंपनियां अपने मॉडल्स को टेस्ट कर सकें, कोई न कोई अमेरिकी कंपनी सस्ता और बेहतर प्रोडक्ट कॉम्पिटीशन में उतार देगी और हमारे इंजीनियर्स या हमारी लैब्स का प्रोडक्ट शुरुआत में ही मुकाबले में चित हो जाएगा।ये दिक्कत चीन की कंपनियों या वहां की तमाम AI लैब्स के साथ नहीं है। वहां चीन का संरक्षित बाज़ार है जिसमें उन्हें फलने फूलने का पूरा मौका मिलता है। अगर चीन के AI प्रोडक्ट/मॉडल शुरुआत में बेहतर ना भी हों तो भी वो बाज़ार में बने रहते हैं। DeepSeek को भी यहां तक पहुंचने में दो वर्ष लगे वो भी एक संरक्षित वातावरण में। ख़ैर उम्मीद पर दुनिया कायम है और हिंदुस्तान उम्मीद के प्रोसेसर पर काम करता है। हमें ऐसा कोई AI फंड चाहिए जिसके भरोसे किसी नई AI लैब को कम से कम 3-4 साल तक रेवेन्यू की चिंता न करनी पड़े
2025-01-28