## भारत में दहेज पर World Bank का रिसर्च #NotesOnNews ★ 1960 से 2008 — 40000 शादियों पर स्टडी — 95% शादियों में दहेज दिया गया \(1961 से अवैध है\) ★ दुल्हन का परिवार शादी के ‘गिफ्ट’ पर दूल्हे के परिवार से 7 गुना ज़्यादा खर्च करता है ★ दहेज अक्सर परिवारों की बचत खा जाता है, 2007 में ग्रामीण भारत में औसत दहेज— सालाना कमाई का 14% था ★ लड़कियों के पिता साल में ज़्यादा दिन काम करते हैं ताकि दहेज का बोझ उठा सकें, ये दहेज अक्सर कई वर्षों की घरेलू कमाई के बराबर होता है। ★ दहेज भारत के सभी प्रमुख धार्मिक समूहों में प्रचलित है। हिंदुओं का औसत राष्ट्रीय औसत के समान है। मुसलमानों में औसत दहेज हिंदुओं की तुलना में थोड़ा ही कम है। ईसाइयों और सिखों में दहेज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे उनका औसत दहेज हिंदुओं और मुसलमानों से अधिक हो गया है। ★ दहेज का स्तर उच्च जाति से खासतौर पर जुड़ा हुआ है। उच्च जाति की शादियों में सबसे अधिक दहेज होता है, उसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी), और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का स्थान आता है। ★ केरल में 1970 के दशक से लगातार दहेज में वृद्धि देखी गई है और हाल के वर्षों में यहां सबसे अधिक औसत दहेज है। हरियाणा, पंजाब और गुजरात में भी दहेज में वृद्धि हुई है। ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में औसत दहेज में कमी आई है। ★ भविष्य में दहेज के भुगतान की संभावना वर्तमान बचत को बढ़ाती है। पहली संतान लड़की (FG) वाले परिवार, पहली संतान लड़का (FB) वाले परिवारों की तुलना में अधिक बचत करते हैं। 😞 एक लाइन में सार ये है कि दहेज को खत्म करने की इच्छाशक्ति ही नहीं है >The World Bank researched 40,000 marriages from 1960 to 2008 and found that dowry was given in 95% of marriages, even though it has been illegal since 1961. Dowry often consumes families' savings, with the bride's family spending seven times more on wedding "gifts" than the groom's family. Links for Further reading [Part-1](https://blogs.worldbank.org/en/developmenttalk/evolution-dowry-rural-india-1960-2008) and [Part-2](https://blogs.worldbank.org/en/developmenttalk/how-dowry-influences-household-decisions-rural-india)