## Gobar on Walls, Is it Scientific ? दीवारों पर गोबर लीपने के पीछे परंपरा है या कोई विज्ञान भी है कुछ #NotesOnNews तैयार किए हैं ख़बर ये है दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज में हाल ही में (अप्रैल 2025) एक अनोखा प्रयोग हुआ — कॉन्क्रीट की दीवारों पर गोबर का प्लास्टर, प्रिंसिपल खुद दीवारों पर गोबर लीपती नज़र आईं >प्रिंसिपल प्रोफेसर प्रत्यूष वत्सला का दावा: ये सिर्फ़ परंपरा नहीं, विज्ञान है — ये दीवारों को ठंडा रखेगा और वातावरण को साफ़। उन्होंने बताया कि ये काम एक शोध का हिस्सा था। पारंपरिक भारतीय ज्ञान का उपयोग करके ताप तनाव नियंत्रण यानी हीट स्ट्रेस कंट्रोल कैसे किया जाए इस पर ये अध्ययन हो रहा है। वो एक सप्ताह के बाद पूरे शोध का विवरण शेयर करेंगी। शोध पोर्टा केबिन में किया जा रहा है। जिनमें से एक को उन्होंने खुद ही गोबर से लेपा है। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई — कुछ बोले पर्यावरण और परंपराओं के प्रति प्रेम है.. तो कुछ बोले पाखंड है। ![[Pub-Gobar-on-walls.webp|400]] तो मैंने सोचा — परंपरा को दिल से नहीं, दिमाग से परखते हैं। और ये काम सही सवालों और रिसर्च की मदद से किया जा सकता है ###### सवाल 1 - क्या गोबर वाकई थर्मल इंसुलेटर है? हां — और इस पर शोध भी हुए हैं। मैंने 2012 से 2025 के बीच प्रकाशित कई peer reviewed रिसर्च पढ़े : इनमें बताया गया कि गोबर-मिट्टी के प्लास्टर की थर्मल कंडक्टिविटी कम होती है — यानी ये गर्मी को भीतर आने से रोकता है। परंपरागत घरों में इससे 4-6°C तक तापमान कम रहता है। गोबर इंसुलेशन का काम बहुत अच्छा करता है और कुछ तत्वों के साथ मिलाए जाने पर जो biostabalised mortar बनता है। वो काफी मज़बूत होता है। ###### सवाल 2 - क्या गोबर बैक्टीरिया मारता है? एक स्टडी के अनुसार, गाय के गोबर में Bacillus subtilis, Lactobacillus, और Actinomycetes जैसे सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं। जो कई हानिकारक बैक्टीरिया को मारने में सक्षम है, इस पर शोध भी चल रहे हैं, ऐसे में एंटीमाइक्रोबियल गुण संभावित तो हैं लेकिन अंतिम रूप से पुष्ट नहीं ###### सवाल 3 - तो क्या गोबर लीपना आज भी कारगर है? यहाँ मामला थोड़ा पेचीदा है। A. मिट्टी की दीवारें vs. कॉन्क्रीट दीवारें: मिट्टी की दीवारें नमी और गोबर को सोखती हैं, जिससे असर बेहतर होता है। पर कॉन्क्रीट की दीवारों पर गोबर टिकता नहीं, पपड़ी बन जाती है और प्रभाव सीमित हो जाता है। B. शहरी इमारतों में एलर्जी, गंध, सफ़ाई के मुद्दे होते हैं। C. वैज्ञानिक पुष्टि हो भी जाए तो इसकी व्यावहारिकता संदिग्ध है — खासकर शहरी संस्थानों में। ###### सवाल 4 - तो क्या ये प्रयोग बेमानी है? नहीं — पर इसे आधा अधूरा विज्ञान नहीं, पूरा समाधान बनाना होगा। अगर गोबर के गुणों का उपयोग करना है, तो प्रोसेस्ड गोबर से बने पेंट, प्लास्टर या ब्रिक्स का विकल्प है — जैसे KVIC (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) ने 'खादी प्राकृतिक पेंट' निकाला है — जिसे VOC-free, antibacterial और heat-resistant बताया गया है। ![[Pub-khadi-gobar-paint.webp|180]] ==परंपरा में वैज्ञानिक आधार हो भी सकते हैं और नहीं भी== ==उसे आज के संदर्भ में लागू करना है, तो तथ्य, शोध और व्यावहारिकता — तीनों की ज़रूरत है।== 2025-04-14