## प्राडा के रैंप पर कोल्हापुरी चप्पल की लैंडिंग #NotesOnNews लग्ज़री ब्रैंड प्राडा के पुरुषों के समर 2026 कलेक्शन में कोल्हापुरी चप्पल की एंट्री बिना कोल्हापुर का ज़िक्र किए धूमधाम से हुई, और दुनिया को पता चला कि 300 से 2000 रुपये तक की इस चप्पल की कीमत 1 लाख 20 हजार रुपये भी हो सकती है.. ज़ाहिर है कोल्हापुर की गलियों से प्राडा के लग्जरी रैंप पर लैंड करते ही कोल्हापुरी चप्पल के भाव बढ़ गए हैं। ![[Pub-kolhapuri-prada.webp|400]] सादगी को इस तरह से लग्जरी में तब्दील होते हुए देखना हैरान भी करता है और थोड़ा चुभता भी है। कोल्हापुरी चप्पल भारत का ब्रैंड है, लेकिन इसे विदेशी फैशन ब्रांड ने लग्जरी का दर्जा दिया, सवाल ये उठता है कि ये काम भारत में भी तो हो सकता था। प्राडा ने इसे लैदर सैंडल कहा और बहुत चालाकी से इससे भारत और कोल्हापुर को अलग कर दिया। एक हैरिटेज वस्तु को अपने ब्रैंड से जोड़कर उसे लाखों रुपए का बना दिया। आज भी कोल्हापुर में लोग पीढ़ियों से इस चप्पल निर्माण में लगे हैं, लेकिन उनकी जिंदगी प्राडा की पैसों वाली वाली चमक से कई प्रकाश वर्ष दूर है। प्राडा ने चप्पल की डिजाइन और विधि को उठाया, अपना ठप्पा लगाया और बिना किसी को क्रेडिट दिए धुआंधार मार्केंटिंग की। जिससे एक जोड़ी चप्पल के दाम 1 लाख 20 हजार रुपए तक पहुंच गए। सवाल ये है कि असली लग्जरी क्या है? खून पसीना बहाकर मेहनत से किसी प्रोडक्ट को तैयार करना या किसी प्रोडक्ट के आइडिया को उठाकर अपनी मुहर लगाकर लाखों रुपए में बेचना। आपको ये बात अपने मन में नोट कर लेनी चाहिए कि असली लग्जरी किसी मजदूर या ओरिजिनल आर्टिस्ट की जीतोड़ मेहनत को सम्मान देने में ही है। फलसफा ये है कि 300 से 2000 रुपये में कोल्हापुरी चप्पल खरीदिए और मान लीजिए कि वो 1.2 लाख रुपये की है। ये फीलिंग राजाओं वाली है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर से निकली ये चप्पलें 12वीं और 13वीं शताब्दी की देन हैं, जब राजा बिज्जल और उनके मंत्री बसवन्ना का शासन था। 13वीं सदी में ये चप्पलें राजा-महाराजाओं के पैरों की शान थीं। ये कपासी, पायताण और बक्कनाली जैसे नाम से भी जानी जाती थीं, जो उन गांवों के नाम थे, जहां ये बनती थीं। 18वीं सदी में कोल्हापुर के शाहू महाराज ने इस हस्तकला को और बढ़ावा दिया। उनके शासन में 29 चर्मशाला केंद्र खोले गए, जिससे ये चप्पलें आम लोगों तक पहुंचीं। इन ऐतिहासिक तथ्यों को देखते हुए ही जुलाई 2019 में कोल्हापुरी चप्पल को GI टैग भी मिल चुका है। 2025-06-25 Interesting Cartoon published on 2025-07-06 🔻 ![[Pub-ET-Cartoon-Kolhapuri-Chappal.webp|400]]