## Sparks of February 2025 #OnlySparks ![[Pub-SidTree-Sparks.webp|400]] > [!tip] Sparks.. ये क्या है ? 💬 ख़्यालों का रजिस्टर चिंगारियों से ख़्याल यहां रहते हैं, कुछ-कुछ कहते हैं। दिन भर जो चिंगारी की तरह दिलोदिमाग में कौंधता है, वो मेरे फोन, आईपैड या कंप्यूटर से यहां पहुंचता है। वैसे आपने कभी गौर किया है कि पहली बार जो विचार कौंधता है, उसके कच्चेपन में एक खास तरह की खुशबू होती है, फिर उसपर अनुशासन / तौर-तरीका चुपड़ दिया जाता है। मेरी कोशिश है कि साधना से साधे हुए के पीछे मौजूद कुछ कच्चा भी आपके सामने रखा जाए। हर महीने की अलग Spark डिजिटल बुकलेट बनाने के बारे में सोचा है। इसे खुली डायरी कह सकते हैं, मन में दस्तक देने वाली घटनाओं से उपजे ख़्यालों का रजिस्टर कह सकते हैं। [ये idea कैसा लगा बताइयेगा ](mailto:[email protected]?subject=Hi%20Siddharth&body=Write%20what%20you%20feel%20here.) **पिछले रजिस्टर ये रहे** - [[Sparks - November 2024]] - [[Sparks - December 2024]] - [[2025-01-Sparks - January 2025]] --- ###### 2025-02-01 at 9:24 PM कई बार हम अपनी थकान को भी कटाक्ष बनाकर हँस लेते हैं। ###### 2025-02-04 at 5:06 PM दरवाज़े पर उजाला कुछ तस्वीरों में हवा की गुणवत्ता का पता नहीं चलता मुस्कान ये बात छिपा लेती है कि माहौल पर काबिज़ कार्बन के कण, कैसे ऑक्सीजन का गला दबा रहे थे टैक्स काटकर जो उजाला हिस्से में आता है, वही प्रक्षेपित करना, करते रहना सांसारिक दायित्व है क्योंकि मुसीबतों के कण कम होंगे नहीं, अलग अलग प्रकार के गोंद से चिपकी बहुत सारी आंखें खुलेंगी नहीं, अकड़ी हुई असंख्य गर्दनें जायज़ बात की ओर मुड़ेंगी नहीं... विषमताओं का संकलन ही जीवन का सूचकांक नहीं है उजाला रोज़ उस दरवाज़े पर आता है जिसे खोलना आपका फ़ैसला है ###### 2025-02-23 at 1:34 PM जो चाहिए वो पूरा न हो तो मांसपेशियां विद्रोह के नारे लगाती हैं अकड़कर हड़ताल पर चली जाती हैं इच्छा की जकड़ साकार होती है दिखती है रिसती है