## Sparks of January 2025 #OnlySparks ![[Pub-SidTree-Sparks.webp|400]] > [!tip] Sparks.. ये क्या है ? 💬 ख़्यालों का रजिस्टर चिंगारियों से ख़्याल यहां रहते हैं, कुछ-कुछ कहते हैं। दिन भर जो चिंगारी की तरह दिलोदिमाग में कौंधता है, वो मेरे फोन, आईपैड या कंप्यूटर से यहां पहुंचता है। वैसे आपने कभी गौर किया है कि पहली बार जो विचार कौंधता है, उसके कच्चेपन में एक खास तरह की खुशबू होती है, फिर उसपर अनुशासन / तौर-तरीका चुपड़ दिया जाता है। मेरी कोशिश है कि साधना से साधे हुए के पीछे मौजूद कुछ कच्चा भी आपके सामने रखा जाए। हर महीने की अलग Spark डिजिटल बुकलेट बनाने के बारे में सोचा है। इसे खुली डायरी कह सकते हैं, मन में दस्तक देने वाली घटनाओं से उपजे ख़्यालों का रजिस्टर कह सकते हैं। [ये idea कैसा लगा बताइयेगा ](mailto:[email protected]?subject=Hi%20Siddharth&body=Write%20what%20you%20feel%20here.) **पिछले रजिस्टर ये रहे** - [[Sparks - November 2024]] - [[Sparks - December 2024]] --- ###### 2025-01-01 at 10:21 AM 2025 में आप सब स्वस्थ रहें सुख दुख के मध्य, मुस्कान के अभ्यस्त रहें ###### 2025-01-01 at 3:25 PM धूप जो चेहरों पर लिखती है वो मुझे भी लिखना है कितने ही काँच हों, या कॉन्क्रीट हो बीच में धूप हमारे मन में क्रेडिट हो जाती है ###### 2025-01-03 at 12:41 AM अपनों ने ही शून्य से गुणा किया हमें… ###### 2025-01-11 at 12:40 PM विवशता के विष से जलकर अकड़ जाना और फिर छिन्न भिन्न होकर बिखर जाना… प्रतिज्ञाओं ने निरर्थक होकर मुक्ति पाई है। हर युद्ध की रक्तयुक्त राख में प्रतिज्ञाओं के खनिज हैं ###### 2025-01-12 at 8:01 PM फिल्म अद्भुत है, अरसा पहले देखी थी, नाम है Internet's Own Boy : The Story of Aaron Swartz' (इंटरनेट का अपना बच्चा) जिन संवेदनाओं और मसलों की बात इसमें है, उससे तमाम देश/समाज कई प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं। अन्यायपूर्ण कानूनों की समीक्षा इस कहानी का केंद्रबिंदु है... ऐसे कानून जो 26 वर्षीय जीनियस की सांसें रोक देते हैं ###### 2025-01-14 at 11:00 AM हम सबके अपने अपने आसमान हैं लेकिन सूर्य एक ही है सूर्य का उत्तरायण होना नई ऊर्जा का प्रतीक है, अब सूर्य की किरणों के साथ सुख तेज़ी से डाउनलोड होंगे ! भारतीय परंपराओं में ये मान्यता है कि चार वेदों के बाद पाँचवें वेद के रूप में आयुर्वेद की रचना हुई... और उसे सूर्यदेव के हाथों में सौंप दिया गया। तात्पर्य ये है कि स्वस्थ जीवन का सूत्र भी सूर्य की किरणों में बसता है ###### 2025-01-25 at 11:47 AM क्या बेईमानी हमारे देश का राष्ट्रीय उसूल बन चुका है ? व्यवस्था के शानदार होने का विज्ञापन छपवा देने से क्या व्यवस्था शानदार हो जाती है क्या विज्ञापन ही हमारे युग के नीति निर्माता हैं