न द्विषन्ति न याच्न्ते परनिन्दानं न कुर्वते। अनाहूता न चायान्ति तेनाशमानोअपि देवताः।। > पाषाण किसी से घृणा नहीं करता, किसी से कुछ नहीं माँगता, निंदा नहीं करता, कहीं भी निमंत्रण के बिना नहीं जाता इसलिए पाषाण देवता की भाँति पूजा जाता है। 2023-12-19 #LearningLounge