## भारतीय रेल दुर्घटनाओं का Template भारत में रेल दुर्घटना से जुड़ा एक Template है, जो बार बार सामने आता है मानवीय लापरवाही / सिग्नल का उल्लंघन / तकनीकी त्रुटि बड़ी दुर्घटना ट्रेन के .... डिब्बे पटरी से उतरे  .... लोगों की मौत .... लोग घायल मृतकों के परिवारों को .... लाख का मुआवज़ा घायलों के परिवारों को .... लाख का मुआवज़ा विभागीय जाँच के आदेश दुख प्रकट करने वाले बयान ऐसे हादसे आँकड़ों का एल्बम बनकर ख़त्म हो जाते हैं ![[Pub-Train-Accidents.webp|400]] कंचनजंगा एक्सप्रेस से मालगाड़ी की टक्कर सिग्नल के उल्लंघन का मामला है। सोचिए इतनी आधुनिक तकनीक आ गई, ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने, बुलेट ट्रेन चलाने की बातें हो रही हैं... लेकिन सिग्नल तोड़ने वाली 'मानवीय भूल' का कोई इलाज नहीं हो पा रहा। रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट पढ़ी तो पता चला कि सिग्नल पासिंग एट डेंजर (SPAD) की घटनाएं हर साल लगभग 5-10% रेलवे हादसों का कारण बनती हैं। हर साल औसतन 15 रेल हादसे सिग्नल तोड़ने के कारण होते हैं, जिसमें सैंकड़ों लोग घायल होते हैं और कुछ की मृत्यु हो जाती है।ऐसे हादसों के पीछे किसी की न किसी की लापरवाही होती है—चाहे वह सिग्नल सिस्टम की तकनीकी खराबी हो या ट्रेन ड्राइवर की लापरवाही।  रेलवे का कवच यानी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम भी इस ट्रैक पर एक्टिव नहीं था.. अब तक ये देश के 1500 किलोमीटर के ट्रैक्स पर ही एक्टिव है। इस साल 3000 km के ट्रैक्स पर इसे एक्टिवेट किया जाना है, इसमें बंगाल भी शामिल है। यानी कवच है नहीं और व्यवस्था सिग्नल तोड़ है। वैसे भारत में जल थल वायु.. हर जगह सिग्नल तोड़े जाते हैं।  4.5% सड़क हादसे सिग्नल तोड़ने के कारण होते हैं जिनमें करीब 7,000 मौतें हर साल होती हैं। भारत सिग्नल तोड़ लोगों का देश है, Wrong side वाहन चलाने वालों का देश है, नियमों का पालन करने वाले यहाँ कम पड़ जाते हैं। 2024-06-15