## Rest In Rhythm Ustad
#NotesOnNews
![[Pub-Ustad-Zakir-Hussain.webp|400]]
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन—एक ऐसा नाम जो तबले की थाप के साथ आत्मा की गहराई तक उतर जाता है। उनकी उंगलियां जब तबले पर चलती थीं, तो सिर्फ सुर नहीं, पूरी कहानियां जन्म लेती थीं। ज़ाकिर हुसैन केवल एक वादक नहीं हैं, वे तबले के सबसे प्रभावशाली कथाकार हैं। उनका शरीर 73 वर्ष की उम्र में संसार से विदा ले चुका है। लेकिन वो एक Rhythm, एक लय के रूप में कई पीढ़ियों के मन में बने रहेंगे। उनके लिए Rest in Peace नहीं.. Rest in Rhythm लिखना चाहिए.. एक ऐसी Rhythm जो सदा के लिए है।
![[Pub-Zakir-Hussain-by-Raghu-Rai-2.webp|400]]
>1951 में मुंबई में जन्मे ज़ाकिर हुसैन का तबले से परिचय उनके पिता और प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा ने कराया। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने एक कार्यक्रम में बताया था कि उनके जन्म के बाद उनके पिता ने पारंपरिक तौर पर कान में बोली जाने वाली दुआओं या प्रार्थनाओं के बजाए, ज़ुबान से तबले की थाप और लय बोली थीं। और कहा था कि ये लय ही उनकी प्रार्थना है।
![[Pub-Zakir-Hussain-by-Raghu-Rai-3.webp|400]]
संगीत की ऐसी जड़ों से शुरुआत करने वाले ज़ाकिर हुसैन ने, तबले को पारंपरिक दायरे से आगे बढ़ाकर उसे ग्लोबल पहचान दी। भारतीय शास्त्रीय संगीत में महारथ हासिल करने के साथ-साथ उन्होंने तबले को जैज़, फ्यूज़न, और वर्ल्ड म्यूज़िक में भी स्थापित किया। “शक्ति” जैसे फ्यूज़न बैंड और कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ उनकी साझेदारी ने दिखाया कि संगीत में सीमाओं का कोई अस्तित्व नहीं होता। 2024 में ही शक्ति बैंड को अपने एल्बम The Moment के लिए best global music album का ग्रैमी अवॉर्ड मिला था
ज़ाकिर हुसैन जब मंच पर होते थे, तो ==सामने बैठे लोग उनकी उंगलियों की नज़ाकत में खो जाते थे। घुंघराले बालों को झटकते हुए यूँ तबले पर थाप देना, मानो उँगलियाँ तबले पर बह रही हों, और अपने श्रोताओं से बात कर रही हों। ये उनका स्टाइल था, जो कई पीढ़ियों ने देखा है, पसंद किया है और सबके मुंह से यही निकला है.. वाह उस्ताद.. भारत के करोड़ों लोगों ने एक चाय को ज़ाकिर हुसैन के तबलावादन से ब्रैंड बनते देखा है==
![[Pub-Zakir-Hussain-by-Raghu-Rai-1.webp|400]]
आगे भी उनके इस अंदाज़ के फैन्स आपको हर पीढ़ी में मिलते रहेंगे। उनकी प्रस्तुतियों में उनकी साधना झलकती है, और सहजता से भरा उनका जीवन दर्शन नज़र आता है। वैसे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का योगदान केवल उनकी प्रस्तुतियों तक सीमित नहीं है। उन्होंने तबले को नई पीढ़ी के लिए प्रासंगिक और दिलचस्प बना दिया है। उनकी शैली में पारंपरिकता और आधुनिकता का संगम है, जो आने वाले समय में भी प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
*B&W Photos Credit : Raghu Rai*
==इसी वर्ष मैंने देव पटेल की फिल्म Monkey Man में तबले पर थिरकती उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की उंगलियों और मुक्केबाज़ी की प्रैक्टिस का फ्यूज़न देखा था। सुरीले मुक्के देखने हों तो ये वीडियो देखिए==

2024-12-16